रविवार, 1 नवंबर 2015

फिर तेरी याद,

फिर तेरी याद, फिर तेरी तलव, फिर तेरी बातें, 
ऐसे लगता है ऐ दिल , तुझे मेरा सकून रास नही आता..!!!

गजब है इश्क ए-दस्तूर,

गजब है इश्क ए-दस्तूर,
साथ थे तो एक लफ्ज ना निकला 
लबों से मेरे,

दूर क्या हुए 
कलम ने कहर मचा दिया...!

वो अच्छे हे तो बेहतर

वो अच्छे हे तो बेहतर , बुरे हे तो भी कबूल ,

मिजाज़-ए-इश्क मैं ऐब-ओ-हुनर देखे नही जाते

जख्म है कि दिखते नही...

जख्म है कि दिखते नही...
मगर ये मत समझिए
कि दुखते नही.....!!

हमसफर

" हमसफर "
सभी  है  मगर ...
कोई  साथ  देता है  तो ...
कोई  छोड  देता है .....

दर्द

" दर्द "
सभी  इंसानो  मे है
मगर ...  
कोई  दिखाता है  तो ...
कोई  छुपाता है .....

अहसास

" अहसास  "
सबको  होता  है  मगर ...
कोई  मेहसूस  करता  है  तो ...
कोई  समज नही पाता