शनिवार, 12 दिसंबर 2015

ऐ जिंदगी तू सच में

ऐ जिंदगी तू सच में
बहुत खूबसूरत है
फिर भी तू दोस्तों के बिना
अच्छी नही लगती

सोचा था न करेंगे किसी से दोस्ती
न करेंगे किसी से वादा
पर क्या करे दोस्त मिला इतना प्यारा की करना पड़ा दोस्ती का वादा
    सुप्रभातम्

बुधवार, 9 दिसंबर 2015

समझौतों की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया

समझौतों की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया
इतने घुटने टेके हमने, आख़िर घुटना टूट गया

देख शिकारी तेरे कारण  एक परिन्दा टूट गया,
पत्थर का तो कुछ नहीं बिगड़ा, लेकिन शीशा टूट गया

घर का बोझ उठाने वाले बचपन की तक़दीर न पूछ
बच्चा घर से काम पे निकला और खिलौना टूट गया

किसको फ़ुर्सत इस दुनिया में ग़म की कहानी पढ़ने की
सूनी कलाई देखके लेकिन, चूड़ी वाला टूट गया

ये मंज़र भी देखे हमने इस दुनिया के मेले में
टूटा-फूटा नाच रहा है, अच्छा ख़ासा टूट गया

पेट की ख़ातिर फ़ुटपाथों पर बेच रहा हूँ तस्वीरें
मैं क्या जानूँ रोज़ा है या मेरा रोज़ा टूट गया

मिलो किसी से ऐसे कि


              मिलो किसी से ऐसे कि
                 ज़िन्दगी भर की
                पहचान बन जाये,
          पड़े कदम जमीं पर ऐसे कि
                 लोगों के दिल पर
                 निशान बन जाये..
              जीने को तो ज़िन्दगी
            यहां हर कोई जी लेता है,
                      लेकिन.....
             जीयो ज़िन्दगी ऐसे कि
            औरों के लब की मुस्कान
                    बन जाये |
              

शनिवार, 5 दिसंबर 2015

धीरे धीरे उम्र कट जाती हैं!


"धीरे धीरे उम्र कट जाती हैं!
"जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है!
"कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है!
"और कभी यादों के सहारे जिंदगी
कट जाती है!
"किनारो पे सागर के खजाने नहीं आते!
"फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते!
"जी लो इन पलों को हंस के दोस्त!
"फिर लौट के दोस्ती के जमाने नहीं
आते!!!

गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

आँखों के परदे भी नम हो गए हैं

आँखों के परदे भी नम हो गए हैं;
बातों के सिलसिले भी कम हो गए हैं;
पता नहीं गलती किसकी है;
वक़्त बुरा है या बुरे हम हो गए हैं।

आहिस्ता चल ऐ जिन्दगी

आहिस्ता चल ऐ जिन्दगी
कुछ कर्ज चुकाने बाकी है
कुछ के दर्द मिटाने बाकी है
कुछ फर्ज निभाने बाकी है।

टहलते हुये

बाग में टहलते हुये एक दिन, जब वो बेनकाब हो गए..
.
जितने पेड़ थे बबूल के सब के सब गुलाब हो गए..