मंगलवार, 31 मई 2016

पत्थरों के शहर

पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है..
आजकल हवा के लिए रोशनदान कौन रखता है..

अपने घर की कलह से फुरसत मिले..तो सुने..
आजकल पराई दीवार पर कान कौन रखता है..

जहां, जब, जिसका, जी चाहा थूक दिया..
आजकल हाथों में पीकदान कौन रखता है..

खुद ही पंख लगाकर उड़ा देते हैं चिड़ियों को..
आजकल परिंदों मे जान कौन रखता है..

हर चीज मुहैया है मेरे शहर में किश्तों पर..
आजकल हसरतों पर लगाम कौन रखता है..

बहलाकर छोड़ आते है वृद्धाश्रम में मां बाप को..
आजकल घर में पुराना सामान कौन रखता है..sp

रविवार, 29 मई 2016

पापा देखो मेंहदी वाली

पापा देखो मेंहदी वाली

मुझे मेंहदी लगवानी है , "पंद्रह साल की चुटकी बाज़ार में  बैठी मेंहदी वाली को देखते ही मचल गयी...

"कैसे लगाती हो मेंहदी "

विनय नें सवाल किया...

"एक हाथ के पचास दो के सौ ...?

  मेंहदी वाली ने जवाब दिया.

विनय को मालूम नहीं था मेंहदी

लगवाना इतना मँहगा हो गया है.

"नहीं भई एक हाथ के बीस लो

वरना हमें नहीं लगवानी."

यह सुनकर चुटकी नें मुँह फुला लिया.

"अरे अब चलो भी ,

नहीं लगवानी इतनी मँहगी मेंहदी"

विनय के माथे पर लकीरें उभर आयीं .

"अरे लगवाने दो ना साहब..

अभी आपके घर में है तो

आपसे लाड़ भी कर सकती है...

कल को पराये घर चली गयी तो

पता नहीं ऐसे मचल पायेगी या नहीं.

तब आप भी तरसोगे बिटिया की

फरमाइश पूरी करनेको...

मेंहदी वाली के शब्द थे तो चुभने

वाले पर उन्हें सुनकर विनय को

अपनी बड़ी बेटी की याद आ गयी..?

जिसकी शादी उसने तीन साल पहले

एक खाते -पीते पढ़े लिखे परिवार में की थी.

उन्होंने पहले साल से ही उसे छोटी

छोटी बातों पर सताना शुरू कर दिया था.

दो साल तक वह मुट्ठी भरभर के

रुपये उनके मुँह में ठूँसता रहा पर

उनका पेट बढ़ता ही चला गया

और अंत में एक दिन सीढियों से

गिर कर बेटी की मौत की खबर

ही मायके पहुँची.

आज वह छटपटाता है

कि उसकी वह बेटी फिर से

उसके पास लौट आये..?

और वह चुन चुन कर उसकी

सारी अधूरी इच्छाएँ पूरी कर दे...

पर वह अच्छी तरह जानता है

कि अब यह असंभव है.

"लगा दूँ बाबूजी...?,

एक हाथ में ही सही "

मेंहदी वाली की आवाज से

विनय की तंद्रा टूटी...

"हाँ हाँ लगा दो.

एक हाथ में नहीं दोनों हाथों में.

और हाँ, इससे भी अच्छी वाली हो

तो वो लगाना."

विनय ने डबडबायी आँखें

पोंछते हुए कहा

और बिटिया को आगे कर दिया.

जब तक बेटी हमारे घर है

उनकी हर इच्छा जरूर पूरी करे,

क्या पता आगे कोई इच्छा

पूरी हो पाये या ना हो पाये ।

ये बेटियां भी कितनी अजीब होती हैं

जब ससुराल में होती हैं

तब माइके जाने को तरसती हैं।

सोचती हैं

कि घर जाकर माँ को ये बताऊँगी

पापा से ये मांगूंगी बहिन से ये कहूँगी

भाई को सबक सिखाऊंगी

और मौज मस्ती करुँगी।

लेकिन

जब सच में मयके जाती हैं तो

एकदम शांत हो जाती है

किसीसे कुछ भी नहीं बोलती

बस माँ बाप भाई बहन से गले मिलती है।

बहुत बहुत खुश होती है।

भूल जाती है

कुछ पल के लिए पति ससुराल।

क्योंकि

एक अनोखा प्यार होता है मायके में

एक अजीब कशिश होती है मायके में।

ससुराल में कितना भी प्यार मिले

माँ बाप की एक मुस्कान को

तरसती है ये बेटियां।

ससुराल में कितना भी रोएँ

पर मायके में एक भी आंसूं नहीं

बहाती ये बेटियां

क्योंकि

बेटियों का सिर्फ एक ही आंसू माँ

बाप भाई बहन को हिला देता है

रुला देता है।

कितनी अजीब है ये बेटियां

कितनी नटखट है ये बेटियां

खुदा की अनमोल देंन हैं

ये बेटियां हो सके तो

बेटियों को बहुत प्यार दें

उन्हें कभी भी न रुलाये

क्योंकि ये अनमोल बेटी दो

परिवार जोड़ती है

दो रिश्तों को साथ लाती है।

अपने प्यार और मुस्कान से।

हम चाहते हैं कि

सभी बेटियां खुश रहें

हमेशा भले ही हो वो

मायके में या ससुराल में।

शनिवार, 28 मई 2016

कुछ हँस के बोल दिया करो,

कुछ हँस के
     बोल दिया करो,
कुछ हँस के
      टाल दिया करो,
यूँ तो बहुत
    परेशानियां है
तुमको भी
     मुझको भी,
मगर कुछ फैंसले
     वक्त पे डाल दिया करो,
न जाने कल कोई
    हंसाने वाला मिले न मिले..
इसलिये आज ही
      हसरत निकाल लिया करो !!
हमेशा समझौता
      करना सीखिए..
क्योंकि थोड़ा सा 
      झुक जाना
किसी रिश्ते को
         हमेशा के लिए
तोड़ देने से
           बहुत बेहतर है ।।।
किसी के साथ
     हँसते-हँसते
उतने ही हक से
      रूठना भी आना चाहिए !
अपनो की आँख का
     पानी धीरे से
पोंछना आना चाहिए !
      रिश्तेदारी और
दोस्ती में
    कैसा मान अपमान ?
बस अपनों के 
     दिल मे रहना
आना चाहिए...!

बुधवार, 25 मई 2016

उदास

"उदास होने के लिए उम्र पड़ी है,
"नज़र उठाओ सामने ज़िंदगी खड़ी है,
"अपनी हँसी को होंठों से न जाने देना!
"क्योंकि आपकी मुस्कुराहट के पीछे
             दुनिया पड़ी है
           
मुस्कुराना हर किसी के बस  का नहीं है....
मुस्करा वो ही सकता जो दिल का अमीर हो....

बुधवार, 18 मई 2016

शादी

किस किस का नाम लें, अपनी बरबादी मेँ;
बहुत लोग आये थे दुआयेँ देने शादी मेँ!

कुदरत   पर   छोड़   दो.......

स्वर्ग  का  सपना  छोड़  दो,
    नर्क   का   डर   छोड़   दो ,
    कौन   जाने   क्या   पाप ,
              क्या   पुण्य ,
                   बस............
    किसी   का   दिल   न   दुखे
    अपने   स्वार्थ   के   लिए ,
               बाकी   सब
  कुदरत   पर   छोड़   दो.......

.             

गुरुवार, 21 अप्रैल 2016

मैं रूठा, तुम भी रूठ गए

मैं रूठा, तुम भी रूठ गए
फिर मनाएगा कौन ?

आज दरार है, कल खाई होगी
फिर भरेगा कौन ?

मैं चुप, तुम भी चुप
इस चुप्पी को फिर तोड़ेगा कौन ?

बात छोटी को लगा लोगे दिल से,
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ?

दुखी मैं भी और  तुम भी बिछड़कर,
सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ?

न मैं राजी, न तुम राजी,
फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन ?

डूब जाएगा यादों में दिल कभी,
तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ?

एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी,
इस अहम् को फिर हराएगा कौन ?

ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ?
फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन ?

मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें....
तो कल इस बात पर फिर पछतायेगा कौन ?