जख्म है कि दिखते नही...
मगर ये मत समझिए
कि दुखते नही.....!!
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रविवार, 1 नवंबर 2015
जख्म है कि दिखते नही...
हमसफर
" हमसफर "
सभी है मगर ...
कोई साथ देता है तो ...
कोई छोड देता है .....
दर्द
" दर्द "
सभी इंसानो मे है
मगर ...
कोई दिखाता है तो ...
कोई छुपाता है .....
अहसास
" अहसास "
सबको होता है मगर ...
कोई मेहसूस करता है तो ...
कोई समज नही पाता
प्यार
" प्यार "
सभी करते है मगर ...
कोई दिल से करता है तो ...
कोई दिमाग सें करता है
रिश्ता
" रिश्ता "
कई लोगों से होता है , मगर ...
कोई प्यार से निभाता है तो ...
कोई नफरत से निभाता है ..
कुछ शेर
कौन कहता है मुसाफिर जख्मी नहीं होते,
रास्ते गवाह हैं,बस कमबख्त गवाही नहीं देते
मेरा यही अंदाज ज़माने को खलता है..
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है
मेरा यही अंदाज ज़माने को खलता है..
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है
सुना है कि उसने खरीद लिया है, करोड़ो का घर शहर में...
मगर आँगन दिखाने वो, आज भी बच्चों को गाँव लाता है..