कौन कहता है मुसाफिर जख्मी नहीं होते,
रास्ते गवाह हैं,बस कमबख्त गवाही नहीं देते
मेरा यही अंदाज ज़माने को खलता है..
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है
मेरा यही अंदाज ज़माने को खलता है..
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है
सुना है कि उसने खरीद लिया है, करोड़ो का घर शहर में...
मगर आँगन दिखाने वो, आज भी बच्चों को गाँव लाता है..
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