शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

सफर का मजा

सफर का मजा

"सफर का मजा लेना हो तो साथ में सामान कम रखिए

और

जिंदगी का मजा लेना हैं तो दिल में अरमान कम रखिए !!

जिंदगी को इतना सिरियस लेने की जरूरत नही यारों,

यहाँ से जिन्दा बचकर कोई नही जायेगा!

जिनके पास सिर्फ सिक्के थे वो मज़े से भीगते रहे बारिश में ....

जिनके जेब में नोट थे वो छत तलाशते रह गए...
                   

कर्मो' से ही पहेचान होती है इंसानो की...

महेंगे 'कपडे' तो,'पुतले' भी पहनते है दुकानों में !!..



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समुन्दर को ठहरा देख,   
ये ना सोचो इसमे रवानी नहीं है !
जब भी उठेंगे तूफान बनकर,
अभी हमने उठने की ठानी नहीं है

गुरुवार, 23 जून 2016

वाइन शॉप

वाइन शॉप 


एक बेवडे ने रात 12 बजे वाइन शॉप मालिक को फोन लगाया...
बेवड़ा- तेरी दूकान कब खुलेगी
मालिक- सुबह 9 बजे
बेवड़ा- तेरी दुकान कब खुलेगी ?
मालीक- बताया ना सुबह 9 बजे !!
बेवड़े ने फिर फ़ोन लगाकर पूछा -दुकान कब खुलेगी
मालिक बोला-अबे बेवड़े कितनी बार बताऊ सुबह 9 बजे दुकान खुलेगी..सुबह 9 बजे आना..
बेवड़ा बोला -मैं दुकान के अंदर से बोल रहा हूँ...
घबराकर मालिक दूकान पर पहुंचा, ताला खोल के चेक करने लगा..
तभी बेवड़ा पीछे से आया और बोला-अब दूकान खोल ही दी तो एक क्वार्टर रॉयल स्टैग की दे दे.....

बुधवार, 22 जून 2016

आज मुलाकात हुई

आज मुलाकात हुई


*आज मुलाकात हुई*
*जाती हुई उम्र से*

*मैने कहा जरा ठहरो तो*
*वह हंसकर इठलाते हुए बोली*
*मैं उम्र हूँ ठहरती नहीं*
*पाना चाहते हो मुझको*
*तो मेरे हर कदम के संग चलो*

*मैंने मुस्कराते हुए कहा*
*कैसे चलूं मैं बनकर तेरा हमकदम*
*संग तेरे चलने पर छोड़ना होगा*
*मुझको मेरा बचपन*
*मेरी नादानी, मेरा लड़कपन*
*तू ही बता दे कैसे समझदारी की*
*दुनियां अपना लूँ*
*जहाँ हैं नफरतें, दूरियां,*
*शिकायतें और अकेलापन*

*उम्र ने कहा*
*मैं तो दुनियां ए चमन में*
*बस एक “मुसाफिर” हूँ*
*गुजरते वक्त के साथ*
*इक दिन यूं ही गुजर जाऊँगी*
*करके कुछ आँखों को नम*
*कुछ दिलों में यादें बन बस जाऊँगी*
जय श्रीकृष्ण

रविवार, 19 जून 2016

कर्मों की आवाज

कर्मों की आवाज


"कर्मों की आवाज़
      शब्दों से भी ऊँची होती है...!
"दूसरों को नसीहत देना
      तथा आलोचना करना.
             सबसे आसान काम है।
सबसे मुश्किल काम है
        चुप रहना और
              आलोचना सुनना...!!"
यह आवश्यक नहीं कि
       हर लड़ाई जीती ही जाए।
आवश्यक तो यह है कि
   हर हार से कुछ सीखा जाए ।।
          

शुक्रवार, 17 जून 2016

ज़रा सी ज़िन्दगी में

ज़रा सी ज़िन्दगी में, व्यवधान बहुत हैं ,
तमाशा देखने को, यहां इंसान बहुत हैं !

कोई भी नहीं बताता ठीक रास्ता यहां,
अजीब से इस शहर में, नादान बहुत हैं !

न करना भरोसा भूल कर भी किसी पे,
यहां हर गली में यारो, बेईमान बहुत हैं

! दौड़ते फिरते हैं न जाने क्या पाने को,
लगे रहते हैं जुगाड़ में, परेशान बहुत हैं !

ख़ुद ही बनाते हैं हम पेचीदा ज़िंदगी को,
वरना तो जीने के नुस्ख़े, आसान बहुत हैं !

गुरुवार, 16 जून 2016

2 वक़्त की रोटी

रोज़ याद न कर पाऊँ तो खुदग़रज़ ना समझ लेना दोस्तों

दरअसल छोटी सी इस उम्र मैं परेशानियां बहुत हैं..!!

मैं भूला नहीं हूँ किसी को...
मेरे बहुत अच्छे दोस्त है ज़माने में ..

बस थोड़ी जिंदगी उलझी पड़ी है ..
2 वक़्त की रोटी कमाने में।. . .

मंगलवार, 7 जून 2016

हुस्न के जो ये नज़ारे नहीं होत

हुस्न के जो ये नज़ारे नहीं होते
हम ये दिल कभी हारे नहीं होते।

चढ जाते जो सबके होठों पर
वो गीत फिर कंवारे नहीं होते।

तमाम नफ़रतों के बलबलों में
इश्क करने वाले सारे नहीं होते।

मात खायी है हमने तो हर्ज़ नहीं
प्यार करने वाले बेचारे नहीं होते।

जो जगमगाते हरदम उंचाई से
सब के सब सितारे नहीं होते।

दीखते दूर से मौजों के पार जो
ठहरे हुए सब किनारे नहीं होते।

इस दिल को यकीन ही था कब
कि लूटने वाले सहारे नहीं होते।

देना था दगा एक रोज आखिर
दोस्त, काश हम तुम्हारे नहीं होते।