आहिस्ता चल ज़िन्दगी, अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है,
कुछ दर्द मिटाना बाकी है, कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है;
रफ्तार में तेरे चलने से कुछ रूठ गए, कुछ छुट गए ;
रूठों को मनाना बाकी है, रोतो को हसाना बाकी है ;
कुछ हसरतें अभी अधूरी है, कुछ काम भी और ज़रूरी है ;
ख्वाइशें जो घुट गयी इस दिल में, उनको दफनाना अभी बाकी है ;
कुछ रिश्ते बनके टूट गए, कुछ जुड़ते जुड़ते छूट गए;
उन टूटे-छूटे रिश्तों के ज़ख्मों को मिटाना बाकी है ;
तू आगे चल में आता हु, क्या छोड़ तुजे जी पाऊंगा ?
इन साँसों पर हक है जिनका,
उनको समझाना बाकी है ;
आहिस्ता चल जिंदगी ,
अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है ।
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गुरुवार, 17 दिसंबर 2015
आहिस्ता चल ज़िन्दगी
मंगलवार, 15 दिसंबर 2015
हल्की-फुल्की सी है जिंदगी...
रिश्वत भी नहीं लेती कम्बख्त मुझे छोड़ने की….!
ये तेरी याद मुझे बहुत ईमानदार लगती है….!!
हल्की-फुल्की सी है जिंदगी...
वज़न तो ख्वाहिशों का ही है...!
किसी की याद में
किसी की याद में बार बार रोने से दिल का
दर्द कम नहीं होता…
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प्यार तो तकदीर में लिखा होता है… तड़पने से कोई
अपना नहीं होता…
तेरी महोब्बत
कौन कहता है तेरी महोब्बत ने मुझे बरबाद कर दिया,
तेरी यादों वादों दर्द आसुंओं से मालामाल है जिदंगी मेरी...
माना कि तुम बङे फनकार हो लफ्जों के खेल में,
जब वफा के नाम पे अटक जाओ तो हमें याद कर लेना...
कौन कहता है बर्बादी ....
कौन कहता है बर्बादी किसी के काम नहीं आती,
दुनिया टूटते हुए तारे से भी दुआ मांगती है… !!
रिश्ते तोड़ देना हमारी फितरत में नहीं,
हम तो बदनाम है, रिश्ते निभाने के लिए !!
इस कदर हम उनकी मुहब्बत में खो गए!
इस कदर हम उनकी मुहब्बत में खो गए!
कि एक नज़र देखा और बस उन्हीं के हम हो गए!
आँख खुली तो अँधेरा था देखा एक सपना था!
आँख बंद की और उन्हीं सपनो में फिर सो गए!
ख्वाब किसके सजाऊ•••
ख्वाब किसके सजाऊ••••
•••••••••उसने तो ख्वाबों से भी रिश्ता तोड लिया•••••
ऊँचा उठना है तो, अपने अंदर के अहंकार को निकालकर, स्वयं को हल्का कीजिये क्योंकि ऊँचा वही उठता है जो हल्का होता है।