मंगलवार, 15 दिसंबर 2015

हल्की-फुल्की सी है जिंदगी...

रिश्वत भी नहीं लेती कम्बख्त मुझे छोड़ने की….!
ये तेरी याद मुझे बहुत ईमानदार लगती है….!!

हल्की-फुल्की सी है जिंदगी...
वज़न तो ख्वाहिशों का ही है...!

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