रविवार, 1 नवंबर 2015

प्यार

" प्यार  "
सभी  करते  है  मगर ...
कोई  दिल  से  करता  है  तो ...
कोई  दिमाग  सें  करता  है

रिश्ता

" रिश्ता  "
कई लोगों  से  होता  है , मगर ...
कोई  प्यार  से  निभाता  है  तो ...
कोई  नफरत  से  निभाता  है ..

कुछ शेर

कौन कहता है मुसाफिर जख्मी नहीं होते,
रास्ते गवाह हैं,बस कमबख्त  गवाही नहीं देते

मेरा यही अंदाज ज़माने को खलता है..
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है

मेरा यही अंदाज ज़माने को खलता है..
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है

सुना है कि उसने खरीद लिया है, करोड़ो का घर शहर में...
मगर आँगन दिखाने वो, आज भी बच्चों को गाँव लाता है..

बचपन वाली दिवाली .....

बचपन वाली दिवाली .....

हफ्तों पहले से साफ़-सफाई में जुट जाते हैं
चूने के कनिस्तर में थोड़ी नील मिलाते हैं
अलमारी खिसका खोयी चीज़ वापस  पाते हैं
दोछत्ती का कबाड़ बेच कुछ पैसे कमाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं  ....

दौड़-भाग के घर का हर सामान लाते हैं
चवन्नी -अठन्नी  पटाखों के लिए बचाते हैं
सजी बाज़ार की रौनक देखने जाते हैं
सिर्फ दाम पूछने के लिए चीजों को उठाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....

बिजली की झालर छत से लटकाते हैं
कुछ में मास्टर  बल्ब भी  लगाते हैं
टेस्टर लिए पूरे इलेक्ट्रीशियन बन जाते हैं
दो-चार बिजली के झटके भी  खाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....

दूर थोक की दुकान से पटाखे लाते है
मुर्गा ब्रांड हर पैकेट में खोजते जाते है
दो दिन तक उन्हें छत की धूप में सुखाते हैं
बार-बार बस गिनते जाते है
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....

धनतेरस के दिन कटोरदान लाते है
छत के जंगले से कंडील लटकाते हैं
मिठाई के ऊपर लगे काजू-बादाम खाते हैं
प्रसाद की  थाली   पड़ोस में  देने जाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....

माँ से खील में से  धान बिनवाते हैं
खांड  के खिलोने के साथ उसे जमके खाते है
अन्नकूट के लिए सब्जियों का ढेर लगाते है
भैया-दूज के दिन दीदी से आशीर्वाद पाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....

दिवाली बीत जाने पे दुखी हो जाते हैं 
कुछ न फूटे पटाखों का बारूद जलाते हैं
घर की छत पे दगे हुए राकेट पाते हैं
बुझे दीयों को मुंडेर से हटाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....

बूढ़े माँ-बाप का एकाकीपन मिटाते हैं
वहीँ पुरानी रौनक फिर से लाते हैं
सामान  से नहीं ,समय देकर सम्मान  जताते हैं
उनके पुराने सुने किस्से फिर से सुनते जाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....

मुद्दत गुज़र जाती है

मुद्दत गुज़र जाती है अपनों को
अपना बनाने में,
वक़्त यूं ही गुज़र जाता है बस
मुश्किलें सुलझाने में...
कभी लगता है कि #दुनिया में सभी
तो अपने हैं,
मगर #जिंदगी सिमट जाती है
रिश्तों को निभाने में...

तेरी निगाह से ऐसी शराब पी मैने

तेरी निगाह से ऐसी शराब पी मैने
कि फिर न होश का दावा किया कभी मैने।
वो और होंगे जिन्हें मौत आ गई होगी,
निगाह-ए-यार से पाई है ज़िंदगी मैने।

ऐ गम-ए-ज़िंदगी कुछ तो दे मशवरा,
एक तरफ़ उसका घर,एक तरफ़ मयकदा।
मैं कहाँ जाऊँ - होता नहीं फैसला,
एक तरफ़ उसका घर,एक तरफ़ मयकदा।

एक तरफ़ बाम पर कोई गुलफ़ाम है,
एक तरफ़ महफ़िल-ए-बादा-औ-जाम है,
दिल का दोनो से है कुछ न कुछ वास्ता,
एक तरफ़ उसका घर,एक तरफ़ मयकदा।

उसके दर से उठा तो किधर जाऊँगा,
मयकदा छोड़ दूँगा तो मर जाऊँगा,
सख्त मुश्किल में हूँ- क्या करूँ ऐ खुदा,
एक तरफ़ उसका घर,एक तरफ़ मयकदा।

ज़िंदगी एक है और तलबगार दो,
जां अकेली मगर जां के हकदार दो,
दिल बता पहले किसका करूँ हक़ अदा,
एक तरफ़ उसका घर,एक तरफ़ मयकदा।

इस ताल्लुक को मैं कैसे तोड़ूँ ज़फ़र,
किसको अपनाऊँ मैं, किसको छोड़ूँ जफ़र,
मेरा दोनों से रिश्ता है नजदीक का,
एक तरफ़ उसका घर,एक तरफ़ मयकदा।

ऐ गम-ए-ज़िंदगी कुछ तो दे मशवरा,
एक तरफ़ उसका घर,एक तरफ़ मयकदा।
मैं कहाँ जाऊँ - होता नहीं फैसला,
एक तरफ़ उसका घर,एक तरफ़ मयकदा।

वो मेरा रोनक-ए-महफिल कहाँ हैं

वो मेरा रोनक-ए-महफिल कहाँ हैं,
मेरी बिजली मेरा हासिल कहाँ है,
मुकाम उसका है दिल की खलवतों में,
खुदा जाने मुकाम-ए-दिल कहाँ है।

जिस दिन से जुदा वो हमसे हुए,
इस दिल ने धड़कना छोड़ दिया, - 2
है चांद का मुह उतरा उतरा
तारों ने चमकना छोड़ दिया

वो पास हमारे रहते थे, बेरुत ही बहार आ जाती थी - 2
अब लाख बहारें आएँ तो क्या -2
फूलों ने महकना छोड़ दिया - 2

है चांद का मुह उतरा उतरा
तारों ने चमकना छोड़ दिया
इस दिल ने धड़कना छोड़ दिया,

हमराह कोई साथी भी नहीं, अब याद कोई बांकी भी नहीं - 2
अब फूल खिले जख्मों के क्या - 2
आँखो ने बरसना छोड़ दिया - 2

है चांद का मुह उतरा उतरा
तारों ने चमकना छोड़ दिया
इस दिल ने धड़कना छोड़ दिया,

हमने ये दुआ जब भी मांगी, तकदीन बदल दे ऐ मालिक - 2
आवाज ये आई के अब हमने - 2
तकदीन बदलना छोड़ दिया

है चांद का मुह उतरा उतरा
तारों ने चमकना छोड़ दिया
इस दिल ने धड़कना छोड़ दिया।