रविवार, 1 नवंबर 2015

वो मेरा रोनक-ए-महफिल कहाँ हैं

वो मेरा रोनक-ए-महफिल कहाँ हैं,
मेरी बिजली मेरा हासिल कहाँ है,
मुकाम उसका है दिल की खलवतों में,
खुदा जाने मुकाम-ए-दिल कहाँ है।

जिस दिन से जुदा वो हमसे हुए,
इस दिल ने धड़कना छोड़ दिया, - 2
है चांद का मुह उतरा उतरा
तारों ने चमकना छोड़ दिया

वो पास हमारे रहते थे, बेरुत ही बहार आ जाती थी - 2
अब लाख बहारें आएँ तो क्या -2
फूलों ने महकना छोड़ दिया - 2

है चांद का मुह उतरा उतरा
तारों ने चमकना छोड़ दिया
इस दिल ने धड़कना छोड़ दिया,

हमराह कोई साथी भी नहीं, अब याद कोई बांकी भी नहीं - 2
अब फूल खिले जख्मों के क्या - 2
आँखो ने बरसना छोड़ दिया - 2

है चांद का मुह उतरा उतरा
तारों ने चमकना छोड़ दिया
इस दिल ने धड़कना छोड़ दिया,

हमने ये दुआ जब भी मांगी, तकदीन बदल दे ऐ मालिक - 2
आवाज ये आई के अब हमने - 2
तकदीन बदलना छोड़ दिया

है चांद का मुह उतरा उतरा
तारों ने चमकना छोड़ दिया
इस दिल ने धड़कना छोड़ दिया।

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