बुधवार, 2 दिसंबर 2015

रोज   तारीख   बदलती.  है,

रोज   तारीख   बदलती.  है,
रोज.  दिन.  बदलते.   हैं....
रोज.  अपनी.  उमर.   भी बदलती.  है.....
रोज.  समय.  भी    बदलता. है...
हमारे   नजरिये.  भी.  वक्त.  के साथ.  बदलते.  हैं.....
बस   एक.  ही.  चीज.  है.  जो नहीं.   बदलती...
और  वो  हैं  "हम खुद"....

और  बस   ईसी.  वजह  से  हमें लगता   है.  कि.  अब  "जमाना" बदल   गया.  है........

किसी  शायर  ने  खूब  कहा  है,,

रहने   दे   आसमा.  ज़मीन   कि तलाश.  ना   कर,,
सबकुछ।  यही।  है,  कही  और  तलाश   ना   कर.,

हर  आरज़ू   पूरी  हो,  तो   जीने का।  क्या।  मज़ा,,,
जीने  के  लिए   बस।  एक खूबसूरत   वजह।  कि   तलाश कर,,,

ना  तुम  दूर  जाना  ना  हम  दूर जायेंगे,,
अपने   अपने   हिस्से कि। "दोस्ती"   निभाएंगे,,,

बहुत  अच्छा   लगेगा    ज़िन्दगी का   ये   सफ़र,,,
आप  वहा  से  याद   करना, हम यहाँ   से   मुस्कुराएंगे,,,

क्या   भरोसा   है.  जिंदगी   का,
इंसान.  बुलबुला.  है   पानी  का,

जी  रहे  है  कपडे  बदल  बदल कर,,
एक  दिन  एक  "कपडे"  में  ले जायेंगे  कंधे  बदल  बदल  कर,,

शुक्रवार, 27 नवंबर 2015

माँ

माँ

लबों पर उसके कभी बददुआ नहीं होती,
बस एक माँ है जो कभी ख़फ़ा नहीं होती
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इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
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मैंने रोते हुए पोछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुप्पट्टा अपना
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ऐ अँधेरे देख ले मुँह तेरा काला हो गया,
माँ ने आँखें खोल दी घर में उजाला हो गया
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किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में मां आई
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मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
मां से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ
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अभी ज़िंदा है माँ मेरी, मुझे कुछ भी नहीं होगा,
मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है
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मंगलवार, 24 नवंबर 2015

मेरी खामोशी ,मेरे अपने गमो से है...


मेरी खामोशी ,मेरे अपने गमो से है...

तेरे गमो से तो मै जान से ही जाता.

आ गया था उनके होठों पर तबस्सुम ख्वाब में,
वर्ना इतनी दिलकशी कब थी, शबे-माहताब में....

सुना है तुम तक़दीर देखने का हुनर रखते हो,
मेरा हाथ देखकर बताना,पहले तुम आओगे या मौत.

हम नहीं सीख पा रहे है ये तेरे शहर का रिवाज

जिस से काम निकल जाए उसे ज़िन्दगी से निकाल दो....

हर जुर्म पे उठती है उँगलियाँ मेरी तरफ,

क्या मेरे सिवा शहर में मासूम है सारे....?

में खुद को सम्भाल लूंगा तेरे जाने के बाद

बस यही मेरा मुझको गुमान ले डूबा....

मेरा हक तो नही है फिर भी ये तुमसे कहते हे
हमारी जिंदगी ले लो मगर उदास मत रहा करो....

इश्क ने कब इजाजत ली है

आशिक़ों से वो होता है और होकर ही रहता है..!

खामोशी बयां कर देती है सब कुछ,

जब दिल का रिश्ता जुड जाता है किसी से...!्या होगी....

कमी नहीं हैं

सुनने की आदत डालो क्योंकि
ताने मारने वालों की कमी नहीं हैं।
मुस्कराने की आदत डालो क्योंकि
रुलाने वालों की कमी नहीं हैं
ऊपर उठने की आदतडालो क्योंकि
टांग खींचने वालों की कमी नहीं है…
प्रोत्साहित करने की आदत डालो क्योंकि
हतोत्साहित करने वालों की कमी नहीं ह

" बड़ा महत्त्व  है "

" बड़ा महत्त्व  है "
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ससुराल में साली का
बाग  में  माली     का
होठों  में  लाली    का
पुलिस में  गाली   का
मकान  में  नाली   का
कान   में   बाली   का
पूजा   में   थाली   का
खुशी  में  ताली   का.... बड़ा महत्त्व है...
:
फलों  में  आम  का
भगवान में  राम  का
मयखाने में  जाम का
फैक्ट्री  में  काम  का
सुर्खियों में  नाम  का
बाजार  में  दाम  का
मोहब्बत में शाम  का....... बड़ा महत्त्व है.
व्यापार  में  घाटा  का
लड़ाई  में  चांटा   का
रईसों  में   टाटा   का
जूत्तों  में  बाटा   का..... बड़ा  महत्त्व  है

फिल्म  में  गाने  का
झगड़े   में  थाने  का
प्यार   में  पाने    का
अंधों   में  काने   का
परिंदों  में  दाने   का........ बड़ा  महत्त्व है

जिंदगी में मोहब्बत का
परिवार में इज्जत का
तरक्की में किस्मत का
दीवानों में हसरत  का....... बड़ा महत्त्व है

पंछियों में बसेरे  का
दुनिया में सवेरे   का
डगर   में  उजेरे  का
शादी  में  फेरे   का...... बड़ा महत्त्व  है

खेलों  में  क्रिकेट   का
विमानों में   जेट    का
शरीर    में   पेट   का
दूरसंचार में  नेट  का...... बड़ा महत्त्व है

मौजों  में  किनारों का
गुर्वतों  में  सहारों   का
दुनिया  में  नजारों का
प्यार   में   इशारों  का...... बड़ा महत्त्व है

खेत  में  फसल   का
तालाब में कमल  का
उधार  में  असल  का
परीक्षा में  नकल  का..... बड़ा महत्त्व है

ससुराल में जमाई का
परदेश  में  कमाई का
जाड़े  में  रजाई   का
दूध   में  मलाई  का........ बड़ा महत्त्व है

बंदूक  में  गोली   का
पूजा   में  रोली  का
समाज में बोली  का
त्योहारों में होली का
श्रृंगार में रूप का....... बड़ा महत्त्व है

बारात  में  दूल्हे  का
रसोई  में  चूल्हे  का..... बड़ा महत्त्व है

सब्जियों में  आलू का
बिहाऱ   में   लालू  का
मशाले में   बालू   का
जंगल   में  भालू  का
बोलने   में  तालू  का..... बड़ा महत्त्व है

मौसम में सामण  का
घर   में   आँगण  का
दुआ  में  माँगण   का
लंका  में  रावण   का..... बड़ा महत्त्व है

चमन  में  बहार   का
डोली  में  कहार   का
खाने   में  अचार  का
मकान में  दीवार  का...... बड़ा महत्त्व है

सलाद  में   मूली  का
फूलों    में  जूली   का
सजा   में  सूली   का
स्टेशन  में  कूली  का...... बड़ा महत्त्व है

पकवानों  में  पूरी  का
रिश्तों  में    दूरी   का
आँखों  में   भूरी   का
रसोई   में   छूरी   का........ बड़ा महत्त्व है

माँ    की   गोदी  का
देश   में     मोदी  का...... बड़ा महत्त्व है

खेत  में   सांप  का
सिलाई में  नाप  का
खानदान में बाप का  .........

प्रकृति हमारी कितनी प्यारी

प्रकृति हमारी कितनी प्यारी,
सबसे अलग और सबसे न्यारी,
देती है वो सबको सीख,
समझे जो उसे नजदीक,
पेड़,पौधे,नदी,पहाड़,
बनाए सुंदर ये संसार।

प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा करना हमारा धर्म है।

श्रमिक अपने श्रम से, वणिक अपने व्यापार से, चिंतक अपने चिंतन से, लेखक अपने लेखन से, क्षत्रीय अपने शौर्य से प्रकृति व पर्यावरण की रक्षा करें। प्रकृति बिना जीवन अधूरा है।

भगवान् श्रीकृष्ण के प्रकृति और पशु प्रेम को समझते हुए,
इनके संरक्षण में अपना सक्रिय योगदान देने का प्रयास करना हमारा परम कर्तव्य है।

रविवार, 15 नवंबर 2015

क्या बात है

"क्या बात है"

जिंदगी तो ऐसे चलती रहेगी
मगर, कुछ अलग हो जाये तो
         "क्या बात है"
हम अपनी जिंदगी में भरते रंग तरह तरह के हर जगह ,मगर 
किसी और कि जिंदगी में रंगोली बना जाये तो
          "क्या बात है"
नहीं कहना मुझे कुछ किसी से कभी मगर,कोई बिना कहे सब कुछ समझ जाये तो
         "क्या बात है"
काफी जाने पहचाने चेहरे मिलते हैं मुझे रोज यहाँ मगर ,
अचानक से कोई अनजान चेहरा मेरे सामने आके मुस्करा जाए तो   "क्या बात है"
जिता है हर कोई खुद के लिए यहाँ मगर, कोई जिंदादिल किसी और के लिए दफ़न हो जाये तो  "क्या बात है"
ऐसे तो कुछ लिखना मुझे आता नहीं मगर, ये लिखा हुआ आपको पसंद आ जाये तो    "क्या बात है"