रविवार, 15 नवंबर 2015

क्या बात है

"क्या बात है"

जिंदगी तो ऐसे चलती रहेगी
मगर, कुछ अलग हो जाये तो
         "क्या बात है"
हम अपनी जिंदगी में भरते रंग तरह तरह के हर जगह ,मगर 
किसी और कि जिंदगी में रंगोली बना जाये तो
          "क्या बात है"
नहीं कहना मुझे कुछ किसी से कभी मगर,कोई बिना कहे सब कुछ समझ जाये तो
         "क्या बात है"
काफी जाने पहचाने चेहरे मिलते हैं मुझे रोज यहाँ मगर ,
अचानक से कोई अनजान चेहरा मेरे सामने आके मुस्करा जाए तो   "क्या बात है"
जिता है हर कोई खुद के लिए यहाँ मगर, कोई जिंदादिल किसी और के लिए दफ़न हो जाये तो  "क्या बात है"
ऐसे तो कुछ लिखना मुझे आता नहीं मगर, ये लिखा हुआ आपको पसंद आ जाये तो    "क्या बात है"

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