मंगलवार, 24 नवंबर 2015

प्रकृति हमारी कितनी प्यारी

प्रकृति हमारी कितनी प्यारी,
सबसे अलग और सबसे न्यारी,
देती है वो सबको सीख,
समझे जो उसे नजदीक,
पेड़,पौधे,नदी,पहाड़,
बनाए सुंदर ये संसार।

प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा करना हमारा धर्म है।

श्रमिक अपने श्रम से, वणिक अपने व्यापार से, चिंतक अपने चिंतन से, लेखक अपने लेखन से, क्षत्रीय अपने शौर्य से प्रकृति व पर्यावरण की रक्षा करें। प्रकृति बिना जीवन अधूरा है।

भगवान् श्रीकृष्ण के प्रकृति और पशु प्रेम को समझते हुए,
इनके संरक्षण में अपना सक्रिय योगदान देने का प्रयास करना हमारा परम कर्तव्य है।

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