सोमवार, 19 अक्तूबर 2015

जो पूरा न हो सका.. वो किस्सा हूँ मै...

ये कह कह के हम दिल को समझा रहे है
वो अब चल चुके,वो अब आ रहे है..

मुझको क्या हक , मैं किसी को मतलबी कहूँ । मै खुद ही ख़ुदा को मुसीबत में याद करता हूं..

हमारे मनाने की अदा इतनी हसीं होगी की तुम उम्र भर रूठे रहने को कोशिश करोगी..

जो पूरा न हो सका.. वो किस्सा हूँ मै...
छूटा हुआ ही सही.. तेरा हिस्सा हूँ मै..!!

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