सोमवार, 19 अक्तूबर 2015

खेली इश्क़ की बाज़ी

आईने में भी खुद को झांक कर देखा,
खुद को भी हमने तनहा करके देखा,
पता चल गया हमें कितनी मोहब्बत है आपसे,
जब तेरी याद को दिल से जुदा करके देखा.

तुम बेवफा नहीं यह तो धड़कनें भी कहती हैं,
अपनी मजबूरियों का एक पैगाम तो भेज देते ..

उसने इस कमाल से खेली इश्क़ की बाज़ी,
मैं अपनी फतह समझता रहा मात होने तक…

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