दिल बेज़ुबाँ है
शायद इसका यही गुनाह है..
यूँ तो हम अपने आप में गुम थे.............
सच तो ये है की वहाँ भी तुम थे..!!!!!!
जैसा मूड हो वैसा मंजर होता है,
मौसम तो इंसान के अंदर होता है..
हैं अगर दूरिया तो क्या हुआ ....
याद नज़रों से नहीं " दिल से " किया जाता है
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