गुरुवार, 17 दिसंबर 2015

मातम

खूबसूरत था इस कदर कि महसूस ना हुआ… ,

की कैसे,कहाँ और कब मेरा बचपन चला गया...!

जी रहे थे हम... तो दुनिया थी ख़फ़ा...
.
.मर गए तो... देर तक मातम रहा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें