गुरुवार, 17 दिसंबर 2015

कोई वादा ना कर

कोई वादा ना कर, कोई इरादा ना कर;
ख्वाहिशों में खुद को आधा ना कर;
ये देगी उतना ही जितना लिख दिया
परमात्मा ने;
इस तकदीर से उम्मीद ज़्यादा ना कर।।
जिन्दगी की हर सुबह
कुछ शर्ते लेकर आती है।
और जिन्दगी की हर शाम
कुछ तर्जुबे देकर जाती है।
Good  morning

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