रविवार, 1 नवंबर 2015

बड़ी मुद्दत से चाहा है तुझे!

बड़ी मुद्दत से चाहा है तुझे!
बड़ी दुआओं से पाया है तुझे!
तुझे भुलाने की सोचूं भी तो कैसे!
किस्मत की लकीरों से चुराया है तुझे

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