रविवार, 1 नवंबर 2015

जमींन पे गिरी सिगरेट की राख बोली

Very nice and true lines

जमींन पे गिरी सिगरेट की राख बोली,
आज तेरी वजह से मेरी ये हालत हे,
कल मेरी वजह से तेरी ये हालत होगी..!

माचिस किसी दूसरी चीज
को जलानेसे पहले खुद
को जलाती हैं..!
गुस्सा भी एक माचिस की तरह है..!
यह दुसरो को बरबाद करने से पहले
खुद को बरबाद करता है!!!

आज का कठोर व कङवा सत्य !!
चार रिश्तेदार एक दिशा में
तब ही चलते हैं ,
जब पांचवा कंधे पर हो ।

"कीचड़ में पैर फंस जाये तो नल के पास जाना चाहिए
मगर.........
नल को देखकर कीचड़ में नही जाना चाहिए,
इसी प्रकार..
जिन्दगी में बुरा समय आ जाये तो....
पैसों का उपयोग करना चाहिए मगर........
पैसों को देखकर बुरे रास्ते पर नही जाना चाहिए."

रिश्तों की बगिया में एक रिश्ता नीम के पेड़ जैसा भी रखना;
जो सीख भले ही कड़वी देता हो पर
तकलीफ में मरहम भी बनता है.
';परिवर्तन से डरना और संघर्ष से कतराना,
मनुष्य की सबसे बड़ी कायरता है ।।

जीवन का सबसे बड़ा गुरु वक्त होता है,
क्योंकि जो वक्त सिखाता है वो कोई नहीं सीखा सकता..
बहुत ही सुन्दर वर्णन है 

मस्तक को थोड़ा झुकाकर देखिए....अभिमान मर जाएगा
आँखें को थोड़ा भिगा कर देखिए.....पत्थर दिल पिघल जाएगा
दांतों को आराम देकर देखिए.........स्वास्थ्य सुधर जाएगा
जिव्हा पर विराम लगा कर देखिए.....क्लेश का कारवाँ गुज़र जाएगा
इच्छाओं को थोड़ा घटाकर देखिए......खुशियों का संसार नज़र आएगा

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