गुरुवार, 24 दिसंबर 2015

मन से प्रीत !

मन ही मन को जानता,
           मन की मन से प्रीत !!

मन ही मनमानी करे,
       मन ही मन का मीत  !!

मन झूमे , मन बावरा ,
       मन की अद्भुत रीत  !!

मन के हारे हार है,
      मन के जीते जीत  !!

मन को मन में रोककर,
            बे मन चले उदास  !!

जो इस पथ को जानते,
           वो कब हुये उदास   !!

मन भरकर मन में रखे,
           मन की सारी बात   !!

मन चाहे तब प्रकट करे,
           यही समझ की बात  !!

मन पूजा मन आरती ,
          मन दीपक मन थाल   !!

मन में रमता राम है,
           जाने वही निहाल ...।।

रिश्ते

रिश्ते वो नहीं ,जिसमें रोज बात हो...
रिश्ते वो नहीं ,जिसमें रोज साथ हो...
रिश्ते तो वो है ,जिसमें कितनी भी दूरियां हो...
लेकिन दिल में हमेशा उनकी याद हो...!

खवाहिश

खवाहिश  नही  मुझे 
मशहुर  होने  की।
आप  मुझे  पहचानते  हो 
बस  इतना  ही  काफी  है।
अच्छे  ने  अच्छा  और 
बुरे  ने  बुरा  जाना  मुझे।
क्यों  की  जीसकी  जीतनी 
जरुरत  थी  उसने उतना  ही
पहचाना  मुझे।

बुधवार, 23 दिसंबर 2015

दिलक़श आँखें

इतनी दिलक़श आँखें होने का ,ये मतलब तो
नही......
कि , जिसे देखो .......
उसे बरबाद कर दो....

खाने की चीज

Priyanka ji मार्केट से लौटी -

mukesh ji-मेरा अंदाजा यह कह रहा है
कि इस पैकेट मे कोई खाने की चीज है.

priyanka ji- अरे वाह मेरे पति परमेश्वर
आप ने  बिलकुल सही अंदाजा लगाया है,
इसमें मेरे नए सैंडल हैं. !!

उड़ जायेंगे तस्वीर से रंगों की तरह हम

" उड़ जायेंगे तस्वीर से रंगों की तरह हम
हम वक़्त की टहनी पर परिंदों की तरह हैं.."

जवाब था मेरे पास उनके हर सवाल का पर..!!

खामोश रहकर मैँने उनको लाजबाब बना दिया..!!

कहने को तो…….. आंसू अपने होते है,
पर …..
देता कोई और है!!!!!

आखिरकार तुझे,
लग गयी ना ठण्ड...
कितना समझाया था,
कि ओढ़ लो तमन्ना मेरी...

अंदाजा

हमारा अंदाजा कोइ ना लगाए तो ठीक होगा.
क्योकीअंदाजा तो बारीश का लगाया जाता है तुफान का नही..!!

नाकामिया

उम्मीदों का दामन थाम रहे हो, तो हौसला कायम रखना...

क्योकि...!!!

जब नाकामिया चरम पे हो, तो कामयाबी बेहद करीब होती है..

Woh oonchaai kis kaam ki!

Jahan yaad na aaye teri,
Woh tanhaai kis kaam ki.
Bigde rishte na bane,
To khudaai kis kaam ki.
Beshak apni manzil tak jana hai hamein,
Lekin jahaan se apne na dikhein,
Woh oonchaai kis kaam ki!

गुरुवार, 17 दिसंबर 2015

सांसो में  शामिल

सांसो में  शामिल हो, लहु में भी रवाँ हो

लेकिन मेरे हाथों की लकीरो में कहाँ हो

इससे ज़्यादा और क्या दर्द दे हम अपने आप को...!!
• • •
ये काफी है के हम तेरे बिन रहने लगे है...

खूबसूरत हम नहीं....

खूबसूरत हम नहीं....
यकीं मानो..
तुम्हारा इश्क है....
जो नूर बनकर....
हमारी आँखों से छलकता है...

गलत कहते है लोग कि ‪‎सगंत‬ का असर होता है,
वो बरसों मेरे साथ रही फिर भी बेवफ़ा निकली यारो..

रोज़ पिलाता हूँ


हम उम्मीदों की दुनियां बसाते रहे;
वो भी पल पल हमें आजमाते रहे;
जब मोहब्बत में मरने का वक्त आया;
हम मर गए और वो मुस्कुराते रहे।

रोज़ पिलाता हूँ एक ज़हर का प्याला उसे...
एक दर्द जो दिल में है मरता ही नहीं है ।

रात तकती रही

खूबसूरत हम नहीं....
यकीं मानो..
तुम्हारा इश्क है....
जो नूर बनकर....
हमारी आँखों से छलकता है...

रात तकती रही आंखो मे दिल आरजू करता रहा...
/
/
/
कोई बे सबर रोता रहा कोई बे खबर सोता रहा..!!

कोई वादा ना कर

कोई वादा ना कर, कोई इरादा ना कर;
ख्वाहिशों में खुद को आधा ना कर;
ये देगी उतना ही जितना लिख दिया
परमात्मा ने;
इस तकदीर से उम्मीद ज़्यादा ना कर।।
जिन्दगी की हर सुबह
कुछ शर्ते लेकर आती है।
और जिन्दगी की हर शाम
कुछ तर्जुबे देकर जाती है।
Good  morning

होता अगर मुमकिन तो

"होता अगर मुमकिन तो
तुझे साँस बनाकर रखते सीने में,
तू रुक जाए तो मैं नहीं
और मैं मर जाऊँ तो तू नहीं

झूठ बोलते है वो...
जो कहते हैं,
हम सब मिट्टी से बने हैं
मैं कईं अपनों से वाक़िफ़ हूँ
जो पत्थर के बने हैं 

याद नज़रों से नहीं

दिल बेज़ुबाँ है

शायद इसका यही गुनाह है..

यूँ तो हम अपने आप में गुम थे.............

सच तो ये है की वहाँ भी तुम थे..!!!!!!

जैसा मूड हो वैसा मंजर होता है,

मौसम तो इंसान के अंदर होता है..

हैं अगर दूरिया तो क्या हुआ ....

याद नज़रों से नहीं " दिल से " किया जाता है

कैसे भूलेगा

कैसे भूलेगा वो मेरी बरसों की चाहत को,
दरिया अगर सूख भी जाये तो रेत से नमी नहीं जाती....

कॉलेजों में मिलती होंगी डिग्रियां,

तजुर्बें महफिलों से मिलते है .....

अपनी रजाई में

ग़ालिब फर्माते है...

मत ढूंढो मुझे
ग़ालिब इस
दुनिया की तन्हाई में,
.
.
.
.
.
.
.
.
ठण्ड बहुत है,
मैं यही हूँ, अपनी रजाई में

मातम

खूबसूरत था इस कदर कि महसूस ना हुआ… ,

की कैसे,कहाँ और कब मेरा बचपन चला गया...!

जी रहे थे हम... तो दुनिया थी ख़फ़ा...
.
.मर गए तो... देर तक मातम रहा

इश्क

मोहोब्बत की भीड़ से हम बेगाने होने लगे है
अब दिलों के शहर से भी हम अनजाने होने लगे है

पहले इश्क फिर धोखा फिर बेवफ़ाई,

बड़ी तरकीब से एक शख्स ने तबाह किया..

छोड़ दिया हमने

तरस आता है,मुझे अपनी मासूम सी पलकों पर,
जब भीग कर कहती हैं,कि अब रोया नहीं जाता.

तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..

छोड़ दिया हमने उसका दीदार करना हमेशा के लिए ,‘दोस्त’ जिसको प्यार की कदर ना हो उसे मुड़ मुड़ के क्या देखना ..

महसूस

मिल भी लेते हैं गले से अपने मतलब के लिए,
आ पड़े मुश्किल तो नज़रें भी चुरा लेते हैं लोग ...!!

बस महसूस करने वाले की कमी है
वरना हमारा हर अल्फाज हमारा दर्द बयां करता है

मेरा मुक़द्दर

"हम तो यु ही बेखुदी में कह दिए,
की हमें कोई याद नहीं करते,
जिसका हो आप जैसा प्यारा दोस्त,
वो कभी खुदा से भी फरियाद नहीं करते."

खुदा ने पूछा क्या सजा दूँ
उस बेफ़वा को...

दिल से आवाज़ आई
मोहब्बत हो जाये उसे भी..

अपने कर्म से वो मेरा मुक़द्दर बना गए, एक क़तरे को पल में समुन्दर बना गए, फूलों से भी ज्यादा नरम था, कभी दिल ये मेरा, इतना तड़पाया उसने कि पत्थर बना गए...

आंधियाँ मगरूर दरख्तों को पटक जायेगी...

आंधियाँ मगरूर दरख्तों को पटक जायेगी...
वही शाख बचेगी जो लचक जायेगी...
मन का अभिमान छोड़कर ... चलते रहिए ।

मंज़र

कितने दर्दनाक थे वो मंज़र, जब हम बिछड़े थे,
उसने कहा था जीना भी नहीं और रोना भी नहीं..

कितनी मजबूरियाँ हम पलकोँ पे सजा लेते हैँ.....।
हम कहाँ रोते हैँ, हालात रूला देते हैँ.....।।

बेखुदी

"हम तो यु ही बेखुदी में कह दिए,
की हमें कोई याद नहीं करते,
जिसका हो आप जैसा प्यारा दोस्त,
वो कभी खुदा से भी फरियाद नहीं करते."

मोहब्बत हाथ में पहने चूड़ी
की तरह होती है...

खनकती है,सवरती है,और
आखिर टूट जाती है...

खुदा ने पूछा क्या सजा दूँ
उस बेफ़वा को...

दिल से आवाज़ आई
मोहब्बत हो जाये उसे भी..

गुज़र गया दिन

गुज़र गया दिन अपनी तमाम रौनकें लेकर,

ज़िन्दगी ने वफ़ा की,
तो कल फ़िर सिलसिले होंगे..

आहिस्ता चल ज़िन्दगी

आहिस्ता चल ज़िन्दगी, अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है,
कुछ दर्द मिटाना बाकी है, कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है;
रफ्तार में तेरे चलने से कुछ रूठ गए, कुछ छुट गए ;
रूठों को मनाना बाकी है, रोतो को हसाना बाकी है ;
कुछ हसरतें अभी अधूरी है, कुछ काम भी और ज़रूरी है ;
ख्वाइशें जो घुट गयी इस दिल में, उनको दफनाना अभी बाकी है ;
कुछ रिश्ते बनके टूट गए, कुछ जुड़ते जुड़ते छूट गए;
उन टूटे-छूटे रिश्तों के ज़ख्मों को मिटाना बाकी है ;
तू आगे चल में आता हु, क्या छोड़ तुजे जी पाऊंगा ?
इन साँसों पर हक है जिनका,
उनको समझाना बाकी है ;
आहिस्ता चल जिंदगी ,
अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है ।

मंगलवार, 15 दिसंबर 2015

हल्की-फुल्की सी है जिंदगी...

रिश्वत भी नहीं लेती कम्बख्त मुझे छोड़ने की….!
ये तेरी याद मुझे बहुत ईमानदार लगती है….!!

हल्की-फुल्की सी है जिंदगी...
वज़न तो ख्वाहिशों का ही है...!

किसी की याद में

किसी की याद में बार बार रोने से दिल का
दर्द कम नहीं होता…
.
.
.
.
.
प्यार तो तकदीर में लिखा होता है… तड़पने से कोई
अपना नहीं होता…

तेरी महोब्बत

कौन कहता है तेरी महोब्बत ने मुझे बरबाद कर दिया,
तेरी यादों वादों दर्द आसुंओं से मालामाल है जिदंगी मेरी...

माना कि तुम बङे फनकार हो लफ्जों के खेल में,

जब वफा के नाम पे अटक जाओ तो हमें याद कर लेना...

कौन कहता है बर्बादी ....

कौन कहता है बर्बादी किसी के काम नहीं आती,
दुनिया टूटते हुए तारे से भी दुआ मांगती है… !!

रिश्ते तोड़ देना हमारी फितरत में नहीं,
हम तो बदनाम है, रिश्ते निभाने के लिए !!

इस कदर हम उनकी मुहब्बत में खो गए!

इस कदर हम उनकी मुहब्बत में खो गए!
कि एक नज़र देखा और बस उन्हीं के हम हो गए!
आँख खुली तो अँधेरा था देखा एक सपना था!
आँख बंद की और उन्हीं सपनो में फिर सो गए!

ख्वाब किसके सजाऊ•••

ख्वाब किसके सजाऊ••••

•••••••••उसने तो ख्वाबों से भी रिश्ता तोड लिया•••••

ऊँचा उठना है तो, अपने अंदर के अहंकार को निकालकर, स्वयं को हल्का कीजिये क्योंकि ऊँचा वही उठता है जो हल्का होता है।

Uski Chahat Ne

Uski Chahat Ne Is Kadar Rula Diya,
Hum Khamosh Rahe Usne Kamzor Bana Diya,

Uski Yaad Me Zuk Gaye Hum Warna,
Hum To Wo The Jisne Zamana Zuka Diya…

मेरे सारे जज्बात

मेरे सारे जज्बात बस शायरी में सिमट के रह गए,
तुझे मालूम ही नही हम तुझसे क्या क्या कह गए

ये नादानी भी,
सच मे बेमिसाल है...

अंधेरा दिल मे है,
और दिये मन्दिरों मे जलाते हैं!

शुम प्रभात जय जिनेन्द्र

समंदर खुमार का,

पलकों में रुक गया है समंदर खुमार का,
कितना अजिब नशा है ये तेरे इंतज़ार का

मौहब्बत मुझे थी उनसे इतनी सनम यादों में दिल तड़पता रहा मौत भी मेरी चाहत को रोक न सकी कब्र में भी दिल धड़कता रहा !!

सबर का फल मीठा

समझ नहीं आता जिंदगी तेरा फैसला,एक तरफ तू कहती है, "सबर का फल मीठा होता है" औरदूसरी तरफ कहती हो कि "वक्त किसी का इंतजार नहीं करता"..

मोहब्बत से मोहब्बत के....

कुछ रिश्तों में रूह की
गाँठ बन्धी होती है

वहीं फेरे होते हैं
मोहब्बत से मोहब्बत के....

_नाराजगियों को कुछ देर

_नाराजगियों को कुछ देर चुप रह कर मिटा लिया करो,

_गलतीया पर बात करने से रिश्ते उलझ जाते है...!!!

सोमवार, 14 दिसंबर 2015

जो मुस्कुरा रहा है

"जो मुस्कुरा रहा है, उसे दर्द ने पाला होगा , चल रहा है, उसके पाँव में छाला होगा ,बिना संघर्ष के इन्सान चमक नही सकता, यारों ,जो जलेगा उसी दिये में तो, उजाला होगा...।"

प्रेम  वो चीज है  जो इंसान को  कभी  मुरझाने  नही  देता और  नफरत  वो  चीज है जो इंसान को  कभी खिलने  नही  देती....

ज़िंदगी ऐसे जियो

ज़िंदगी ऐसे जियो के अपने....
रब को पसंद आ जाओ....
...
.....क्योंकि,,,

दुनिया वालो की पसंद ....
तो पल भर में....
बदल जाती है...!!

छांव

दुसरो की छांव में खड़े रहकर हम अपनी परछाई खो देते है,
अपनी परछाई के लिये हमे खुद ही धूप में खड़ा रहना पड़ता है..

रविवार, 13 दिसंबर 2015

रात भर तारीफ़

रात भर तारीफ़ मैंने की...
तुम्हारी....
चाँद इतना जल गया सुनकर,कि सूरज हो गया..!!

दिल का हाल

दिल का हाल लबजो मे नही कहा जाता।रो कर दिल का दाग नही दोया जाता।जब तारे जागते ह रात भर चाँद से भी नही सोया जाता।

शनिवार, 12 दिसंबर 2015

ऐ जिंदगी तू सच में

ऐ जिंदगी तू सच में
बहुत खूबसूरत है
फिर भी तू दोस्तों के बिना
अच्छी नही लगती

सोचा था न करेंगे किसी से दोस्ती
न करेंगे किसी से वादा
पर क्या करे दोस्त मिला इतना प्यारा की करना पड़ा दोस्ती का वादा
    सुप्रभातम्

बुधवार, 9 दिसंबर 2015

समझौतों की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया

समझौतों की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया
इतने घुटने टेके हमने, आख़िर घुटना टूट गया

देख शिकारी तेरे कारण  एक परिन्दा टूट गया,
पत्थर का तो कुछ नहीं बिगड़ा, लेकिन शीशा टूट गया

घर का बोझ उठाने वाले बचपन की तक़दीर न पूछ
बच्चा घर से काम पे निकला और खिलौना टूट गया

किसको फ़ुर्सत इस दुनिया में ग़म की कहानी पढ़ने की
सूनी कलाई देखके लेकिन, चूड़ी वाला टूट गया

ये मंज़र भी देखे हमने इस दुनिया के मेले में
टूटा-फूटा नाच रहा है, अच्छा ख़ासा टूट गया

पेट की ख़ातिर फ़ुटपाथों पर बेच रहा हूँ तस्वीरें
मैं क्या जानूँ रोज़ा है या मेरा रोज़ा टूट गया

मिलो किसी से ऐसे कि


              मिलो किसी से ऐसे कि
                 ज़िन्दगी भर की
                पहचान बन जाये,
          पड़े कदम जमीं पर ऐसे कि
                 लोगों के दिल पर
                 निशान बन जाये..
              जीने को तो ज़िन्दगी
            यहां हर कोई जी लेता है,
                      लेकिन.....
             जीयो ज़िन्दगी ऐसे कि
            औरों के लब की मुस्कान
                    बन जाये |
              

शनिवार, 5 दिसंबर 2015

धीरे धीरे उम्र कट जाती हैं!


"धीरे धीरे उम्र कट जाती हैं!
"जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है!
"कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है!
"और कभी यादों के सहारे जिंदगी
कट जाती है!
"किनारो पे सागर के खजाने नहीं आते!
"फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते!
"जी लो इन पलों को हंस के दोस्त!
"फिर लौट के दोस्ती के जमाने नहीं
आते!!!

गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

आँखों के परदे भी नम हो गए हैं

आँखों के परदे भी नम हो गए हैं;
बातों के सिलसिले भी कम हो गए हैं;
पता नहीं गलती किसकी है;
वक़्त बुरा है या बुरे हम हो गए हैं।

आहिस्ता चल ऐ जिन्दगी

आहिस्ता चल ऐ जिन्दगी
कुछ कर्ज चुकाने बाकी है
कुछ के दर्द मिटाने बाकी है
कुछ फर्ज निभाने बाकी है।

टहलते हुये

बाग में टहलते हुये एक दिन, जब वो बेनकाब हो गए..
.
जितने पेड़ थे बबूल के सब के सब गुलाब हो गए..

प्यास दिल  में है

प्यास दिल  में है बला की पास पर दरिया नहीं ।
क्या तड़प है कि सुकूँ का एक भी लम्हा नहीं ।
जिस्म छू कर तो कई ज़ज़्बात लौटे हैं मगर
एक भी अहसास मेरी रूह तक पंहुचा नहीं।

छोटे थे हर बात भूल जाया

छोटे थे हर बात भूल जाया करते थे
दुनिया कहती थी याद करना सीखो
अब हर बात याद रहती है
दुनिया कहती है भूलना सिखो ।

सुबह जल्दी उठाने

सुबह जल्दी उठाने सात बजे को आठ कहती
नहा लो, नहा लो, के घर में नारे बुलंद करती है ,
मेरी खराब तबियत का दोष बुरी नज़र पर मढ़ती
छोटी परेशानियों का बड़ा बवंडर करती है ..........माँ बड़ा झूठ बोलती है
थाल भर खिलाकर तेरी भूख मर गयी कहती है
जो मैं न रहू घर पे तो मेरे पसंद की
कोई चीज़ रसोई में उनसे नही पकती है ,
मेरे मोटापे को भी कमजोरी की सूज़न बोलती है .........माँ बड़ा झूठ बोलती है
दो ही रोटी रखी है रास्ते के लिए बोल कर
एक मेरे नाम दस लोगो का खाना भरती है,
कुछ नही-कुछ नही, बोल नजर बचा बैग में
छिपी शीशी अचार की बाद में निकलती है .....माँ बड़ा झूठ बोलती है
टोका टाकी से जो मैं झुंझला जाऊ कभी तो ,
समझदार हो अब न कुछ बोलूंगी मैं,
ऐसा अक्सर बोलकर वो रूठती है
अगले ही पल फिर चिंता में हिदायती होती है ....माँ बड़ा झूठ बोलती है
तीन घंटे मैं थियटर में ना बैठ पाउंगी ,
सारी फिल्मे तो टी वी पे आ जाती है ,
बाहर का तेल मसाला तबियत खराब करता है
बहानो से अपने पर होने वाले खर्च टालती है ....माँ बड़ा झूठ बोलती है
मेरी उपलब्द्धियो को बढ़ा चढ़ा कर बताती
सारी खामियों को सब से छिपा लेती है
उनके व्रत ,नारियल,धागे ,फेरे मेरे नाम
तारीफ़ ज़माने में कर बहुत शर्मिंदा करती है .... माँ बड़ा झूठ बोलती है
भूल भी जाऊ दुनिया भर के कामो में उलझ
उनकी दुनिया मैं वो मुझे कब भूलती है, ?
मुझ सा सुंदर उन्हें दुनिया में ना कोई दिखे
मेरी चिंता में अपने सुख भी नही भोगती है .........माँ बड़ा झूठ बोलती है
मन सागर मेरा हो जाए खाली ऐसी वो गागर
जब पूछो अपनी तबियत हरी बोलती है ,
उनके ‘जाये” है, हम भी रग रग जानते है
दुनियादारी में नासमझ वो भला कहाँ समझती है .........माँ बड़ा झूठ बोलती है ....
उनकी फैलाए सामानों से जो एक उठा लू
खुश होती जैसे उन पे उपकार समझती है ,
मेरी छोटी सी नाकामयाबी पे गहरी उदासी
सोच सोच अपनी तबियत का नुक्सान सहती है ....माँ बड़ा झूठ बोलती है ...

यूँ ही "उम्मीद"

यूँ ही "उम्मीद" दिलाते हैं "ज़माने" वाले;

कब "लौट" के आते हैं "छोड़" कर जाने वाले।

"मंजिलों" से गुमराह भी

"मंजिलों" से गुमराह भी
कर देते हैं कुछ लोग,

हर किसी से, रास्ता पूछना,
अच्छा नहीं होता...!

बुधवार, 2 दिसंबर 2015

रोज   तारीख   बदलती.  है,

रोज   तारीख   बदलती.  है,
रोज.  दिन.  बदलते.   हैं....
रोज.  अपनी.  उमर.   भी बदलती.  है.....
रोज.  समय.  भी    बदलता. है...
हमारे   नजरिये.  भी.  वक्त.  के साथ.  बदलते.  हैं.....
बस   एक.  ही.  चीज.  है.  जो नहीं.   बदलती...
और  वो  हैं  "हम खुद"....

और  बस   ईसी.  वजह  से  हमें लगता   है.  कि.  अब  "जमाना" बदल   गया.  है........

किसी  शायर  ने  खूब  कहा  है,,

रहने   दे   आसमा.  ज़मीन   कि तलाश.  ना   कर,,
सबकुछ।  यही।  है,  कही  और  तलाश   ना   कर.,

हर  आरज़ू   पूरी  हो,  तो   जीने का।  क्या।  मज़ा,,,
जीने  के  लिए   बस।  एक खूबसूरत   वजह।  कि   तलाश कर,,,

ना  तुम  दूर  जाना  ना  हम  दूर जायेंगे,,
अपने   अपने   हिस्से कि। "दोस्ती"   निभाएंगे,,,

बहुत  अच्छा   लगेगा    ज़िन्दगी का   ये   सफ़र,,,
आप  वहा  से  याद   करना, हम यहाँ   से   मुस्कुराएंगे,,,

क्या   भरोसा   है.  जिंदगी   का,
इंसान.  बुलबुला.  है   पानी  का,

जी  रहे  है  कपडे  बदल  बदल कर,,
एक  दिन  एक  "कपडे"  में  ले जायेंगे  कंधे  बदल  बदल  कर,,

शुक्रवार, 27 नवंबर 2015

माँ

माँ

लबों पर उसके कभी बददुआ नहीं होती,
बस एक माँ है जो कभी ख़फ़ा नहीं होती
#
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
#
मैंने रोते हुए पोछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुप्पट्टा अपना
#
ऐ अँधेरे देख ले मुँह तेरा काला हो गया,
माँ ने आँखें खोल दी घर में उजाला हो गया
#
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में मां आई
#
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
मां से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ
#
अभी ज़िंदा है माँ मेरी, मुझे कुछ भी नहीं होगा,
मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है
#

मंगलवार, 24 नवंबर 2015

मेरी खामोशी ,मेरे अपने गमो से है...


मेरी खामोशी ,मेरे अपने गमो से है...

तेरे गमो से तो मै जान से ही जाता.

आ गया था उनके होठों पर तबस्सुम ख्वाब में,
वर्ना इतनी दिलकशी कब थी, शबे-माहताब में....

सुना है तुम तक़दीर देखने का हुनर रखते हो,
मेरा हाथ देखकर बताना,पहले तुम आओगे या मौत.

हम नहीं सीख पा रहे है ये तेरे शहर का रिवाज

जिस से काम निकल जाए उसे ज़िन्दगी से निकाल दो....

हर जुर्म पे उठती है उँगलियाँ मेरी तरफ,

क्या मेरे सिवा शहर में मासूम है सारे....?

में खुद को सम्भाल लूंगा तेरे जाने के बाद

बस यही मेरा मुझको गुमान ले डूबा....

मेरा हक तो नही है फिर भी ये तुमसे कहते हे
हमारी जिंदगी ले लो मगर उदास मत रहा करो....

इश्क ने कब इजाजत ली है

आशिक़ों से वो होता है और होकर ही रहता है..!

खामोशी बयां कर देती है सब कुछ,

जब दिल का रिश्ता जुड जाता है किसी से...!्या होगी....

कमी नहीं हैं

सुनने की आदत डालो क्योंकि
ताने मारने वालों की कमी नहीं हैं।
मुस्कराने की आदत डालो क्योंकि
रुलाने वालों की कमी नहीं हैं
ऊपर उठने की आदतडालो क्योंकि
टांग खींचने वालों की कमी नहीं है…
प्रोत्साहित करने की आदत डालो क्योंकि
हतोत्साहित करने वालों की कमी नहीं ह

" बड़ा महत्त्व  है "

" बड़ा महत्त्व  है "
----------------------------
ससुराल में साली का
बाग  में  माली     का
होठों  में  लाली    का
पुलिस में  गाली   का
मकान  में  नाली   का
कान   में   बाली   का
पूजा   में   थाली   का
खुशी  में  ताली   का.... बड़ा महत्त्व है...
:
फलों  में  आम  का
भगवान में  राम  का
मयखाने में  जाम का
फैक्ट्री  में  काम  का
सुर्खियों में  नाम  का
बाजार  में  दाम  का
मोहब्बत में शाम  का....... बड़ा महत्त्व है.
व्यापार  में  घाटा  का
लड़ाई  में  चांटा   का
रईसों  में   टाटा   का
जूत्तों  में  बाटा   का..... बड़ा  महत्त्व  है

फिल्म  में  गाने  का
झगड़े   में  थाने  का
प्यार   में  पाने    का
अंधों   में  काने   का
परिंदों  में  दाने   का........ बड़ा  महत्त्व है

जिंदगी में मोहब्बत का
परिवार में इज्जत का
तरक्की में किस्मत का
दीवानों में हसरत  का....... बड़ा महत्त्व है

पंछियों में बसेरे  का
दुनिया में सवेरे   का
डगर   में  उजेरे  का
शादी  में  फेरे   का...... बड़ा महत्त्व  है

खेलों  में  क्रिकेट   का
विमानों में   जेट    का
शरीर    में   पेट   का
दूरसंचार में  नेट  का...... बड़ा महत्त्व है

मौजों  में  किनारों का
गुर्वतों  में  सहारों   का
दुनिया  में  नजारों का
प्यार   में   इशारों  का...... बड़ा महत्त्व है

खेत  में  फसल   का
तालाब में कमल  का
उधार  में  असल  का
परीक्षा में  नकल  का..... बड़ा महत्त्व है

ससुराल में जमाई का
परदेश  में  कमाई का
जाड़े  में  रजाई   का
दूध   में  मलाई  का........ बड़ा महत्त्व है

बंदूक  में  गोली   का
पूजा   में  रोली  का
समाज में बोली  का
त्योहारों में होली का
श्रृंगार में रूप का....... बड़ा महत्त्व है

बारात  में  दूल्हे  का
रसोई  में  चूल्हे  का..... बड़ा महत्त्व है

सब्जियों में  आलू का
बिहाऱ   में   लालू  का
मशाले में   बालू   का
जंगल   में  भालू  का
बोलने   में  तालू  का..... बड़ा महत्त्व है

मौसम में सामण  का
घर   में   आँगण  का
दुआ  में  माँगण   का
लंका  में  रावण   का..... बड़ा महत्त्व है

चमन  में  बहार   का
डोली  में  कहार   का
खाने   में  अचार  का
मकान में  दीवार  का...... बड़ा महत्त्व है

सलाद  में   मूली  का
फूलों    में  जूली   का
सजा   में  सूली   का
स्टेशन  में  कूली  का...... बड़ा महत्त्व है

पकवानों  में  पूरी  का
रिश्तों  में    दूरी   का
आँखों  में   भूरी   का
रसोई   में   छूरी   का........ बड़ा महत्त्व है

माँ    की   गोदी  का
देश   में     मोदी  का...... बड़ा महत्त्व है

खेत  में   सांप  का
सिलाई में  नाप  का
खानदान में बाप का  .........

प्रकृति हमारी कितनी प्यारी

प्रकृति हमारी कितनी प्यारी,
सबसे अलग और सबसे न्यारी,
देती है वो सबको सीख,
समझे जो उसे नजदीक,
पेड़,पौधे,नदी,पहाड़,
बनाए सुंदर ये संसार।

प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा करना हमारा धर्म है।

श्रमिक अपने श्रम से, वणिक अपने व्यापार से, चिंतक अपने चिंतन से, लेखक अपने लेखन से, क्षत्रीय अपने शौर्य से प्रकृति व पर्यावरण की रक्षा करें। प्रकृति बिना जीवन अधूरा है।

भगवान् श्रीकृष्ण के प्रकृति और पशु प्रेम को समझते हुए,
इनके संरक्षण में अपना सक्रिय योगदान देने का प्रयास करना हमारा परम कर्तव्य है।

रविवार, 15 नवंबर 2015

क्या बात है

"क्या बात है"

जिंदगी तो ऐसे चलती रहेगी
मगर, कुछ अलग हो जाये तो
         "क्या बात है"
हम अपनी जिंदगी में भरते रंग तरह तरह के हर जगह ,मगर 
किसी और कि जिंदगी में रंगोली बना जाये तो
          "क्या बात है"
नहीं कहना मुझे कुछ किसी से कभी मगर,कोई बिना कहे सब कुछ समझ जाये तो
         "क्या बात है"
काफी जाने पहचाने चेहरे मिलते हैं मुझे रोज यहाँ मगर ,
अचानक से कोई अनजान चेहरा मेरे सामने आके मुस्करा जाए तो   "क्या बात है"
जिता है हर कोई खुद के लिए यहाँ मगर, कोई जिंदादिल किसी और के लिए दफ़न हो जाये तो  "क्या बात है"
ऐसे तो कुछ लिखना मुझे आता नहीं मगर, ये लिखा हुआ आपको पसंद आ जाये तो    "क्या बात है"